डीएओ ने किसानों से एनपीके एवं जिनकेटेड सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करने की आपील।

Vishesh Varta (विशेष वार्ता)
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 बहराइच। जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर सूबेदार यादव ने बताया कि रबी सीजन गेहूं सरसों मसूर , आलू चना मटर व अन्य फसलों की बुवाई के लिए सभी कृषक भाई एनपीके 20-20-0-13  एनपीके 12-32-16, नैनो डीएपी एवं जिनकेटेड सिंगल सुपर फास्फेट एवं बोरोनेटेड सिंगल सुपर फास्फेट, नैनो यूरिया का प्रयोग फसलों के लिए लाभकारी है । जनपद में इस समय 11852 मेट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट, 3952 मेट्रिक टन एनपीके एवं 2968 मेट्रिक टन डीएपी एवं 48251 बोतल नैनो डीएपी  46324 बोतल नैनो यूरिया उपलब्ध है l यह जनपद के किसानों की मांग के हिसाब से पर्याप्त है ।

अभी जनपद की 90 सहकारी समिति पर डीएपी एवं एनपीके उपलब्ध हैं। अवशेष 25 सहकारी समिति पर डीएपी भेजी जाएगी । जनपद की सभी सहकारी समिति पर नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया पर्याप्त मात्रा में  उपलब्ध है । सभी किसान भाई जरूरत के हिसाब से ही उर्वरक का प्रयोग करें । अधिक उर्वरक के प्रयोग करने से मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है जिसका असर उत्पादन पर भी पड़ता है‌।  डीएपी उर्वरक का आवश्यकता से अधिक भंडारण भी ना करें । सभी किसान भाई अभी सब्जी केला व अन्य फसल में डीएपी की जगह नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया का प्रयोग करें जो सब्जी केला सहित अन्य फसलों में भी लाभदायक है lकिसान भाई बुवाई के समय दानेदार डीएपी की जगह नैनो डीएपी से बीज का उपचार करके गेहूं के बीज की बुवाई करें इससे फास्फोरस सीधे पौधों की जड़ों में उपलब्ध हो जाता है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। नैनो डीएपी, दानेदार डीएपी से सस्ता भी पड़ता है। अधिक डीएपी प्रयोग करने से हानियां भी होती है जैसे डीएपी में उपलब्ध 18 प्रतिशत नाइट्रोजन में से मात्र 15.5% नाइट्रोजन एवं फास्फोरस के 46 परसेंट में मात्र 39.5% फास्फोरस उपलब्ध हो पता है। शेष नाइट्रोजन एवं फास्फोरस मृदा में अघुलनशील अवस्था में व्यर्थ हो जाता है। अतः अघुलनशील अवस्था में व्यर्थ हुआ फास्फोरस धीरे-धीरे मृदा को बंजर बना देता है। डीएपी  के अधिक मात्रा मे प्रयोग से मृदा का पीएच भी बढ़ता है जिससे अन्य पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता में कमी आती है। डीएपी के घुलने से अमोनिया गैस का स्राव होता है, जो नव अंकुरित बीज की जड़ों के विकास को धीमा कर देता है। डीएपी अन्य फास्फेटिक उर्वरक से महंगा है इसमें केवल नाइट्रोजन व फास्फोरस ही पाए जाते हैं । जबकि एनपीके में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश एवं सल्फर पाया जाता है जबकि मार्केट में उपलब्ध जिनकेटेड सिंगल सुपर फास्फेट में फास्फोरस, कैल्शियम, सल्फर, एवं जिंक भी पाया जाता है। इसलिए यह फसलों के लिए ज्यादा लाभकारी है । ज़िंकेटेड सिंगल सुपर फास्फेट, बोरोनेटेड सिंगल सुपर फास्फेट के प्रयोग करने से हमें अलग से जिंक, सल्फर, बोरान एवं कैल्शियम फसलों को नहीं देना पड़ता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर शोधों से सिद्ध हो चुका है कि रवि फसलों जैसे गेहूं मसूर सरसों चना मटर लाही आलू आदि फसलों में डीएपी के स्थान पर एनपीके एवं जिनकेटेड एवं बोरोनेटेड सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग फसल की गुणवत्ता उपज व रोग प्रतिरोधक क्षमता की दृष्टि से कहीं अधिक उपयोगी है। एनपीके व सिंगल सुपर फास्फेट डीएपी से सस्ता पड़ता है जिसकी वजह से उत्पादन लागत में कमी आती है ।

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