भुट्टे मुझे बेहद पसंद है किसान के द

ब्लॉक संवादाता मिहींपुरवा
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 भुट्टे

मुझे बेहद पंसद हैं



सड़क किनारे

चूल्हे की आँच पर सिंकते भुट्टे


जीभ पकड़कर खींच लेते हैं मुझे अपने पास

हाथों में कितनी गर्मजोशी से आते हैं वे


अपने ही पत्तलों पर

नमक


हरी मिर्च

स्वाद की काली धारियों


और ख़ुशबुओं के अपने प्रभा-मंडल के साथ

कोई-कोई भुट्टा


तो इतना खिच्चा

कि दानों को अँगुलियों से छुड़ाते हुए लगता है


मानो छू रहा हूँ

किसान की देह पर पसीने की बूँदें


भुट्टा खाने के बाद

नियम से नहीं पीता हूँ पानी


नियम से तोड़कर उसे सूँघता हूँ

पता नहीं किसने बताए ये नियम और इनके क्या फ़ायदे हैं


पर मेरी इस आदत से

कुछ दोस्त परेशान रहते हैं


मुझे समझाते हैं

कि इन चूल्हों का कोयला


मसानघाट से

सस्ते में लाया हुआ होता है


पर मैं अवश

खा ही ले

ता हूँ भुट्टे


सड़क किनारे

औघड़ की तरह। 



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