मिहींपुरवा । तहसील में पूर्व क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत उर्रा बाजार में संत पंकज जी महाराज द्वारा उर्रा की पावन धरती पर बाबा जय गुरुदेव के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया उन्होंने समाज को जागृत करने के लिए जीओ पर दया करना एवं सभी को शाकाहारी होने का अनुरोध किया। उन्होंने अपने संदेश में ध्यान की विभिन्न को लोगों को बताया और उनका पालन करने के लिए लोगों से अपील की ।
सत्संग का विस्तार करते हुए बताया कि ”जातियाँ हमने बनाई, भगवान की तरफ से कोई जाति नहीं। उसने सबको मनुष्य बनाया। जातियों के नाम पर लड़़ना झगड़़ना इन्सानों का काम नहीं। मानव तन देव दुर्लभ शरीर है। मनुष्य शरीर को पाना समय का बहुत बड़ा वरदान है। सत्संग से विवेक जागता है। भगवान जीते जी मिलता है। दुनिया की तकलीफें भजन से जायेंगी, देश में हिंसा, अपराध, कदाचार की घटनाओं के पीछे माँसाहार व नशाखोरी मुख्य कारण हैं। चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी है। देश में राम राज्य तब आयेगा, जब सबके विचार अच्छे होंगे। उन्होंने कहा कि जब मुहम्मद साहब नहीं आये थे, तब कोई मुसलमान नहीं था, गुरु नानक जी जब नहीं आए थे, तब कोई सिख नहीं था, ईसामसीह के आने के पहले कोई ईसाई नहीं था। इसी प्रकार और आगे चले जाइये तो मनुष्य ही मनुष्य रह जाते। ये रगड़े-झगड़े हमारे अपने नहीं, मन की खुराफात है। जॉति-पॉति, धर्म-मजहब, क्षेत्र भाषा, सम्प्रदाय, के नाम पर लड़ना झगड़ना अज्ञानता के कारण है। लड़ाई-झगड़ों से ईर्ष्या द्वेष और नफरत के अलावा कुछ नहीं मिला। हमने बहुत लड़ लिया बहुत झगड़े कर लिया, बहुत दंगे फॅसाद कर लिये, लेकिन हमको क्या मिला? नफरत की ऐसी ज्वाला जली, जिसमें घर, परिवार, समाज, जातियाँ ही नहीं, पूरा देश जल उठा। अब तो सबको ठंडक, शान्ति सुकून की जरूरत है। ये सब कहाँ मिलेंगे, जहाँ शान्ति, सुकून, अमन चैन, खुशहाली के सन्देश होते हैं। ये सब वहीं मिल सकते हैं, जहाँ सन्त महात्मा के उपदेश होते हैं।
बाबा जयगुरुदेव के अनन्य भक्त ने कहा कि सन्त किसी दाढ़ी बाल, वेश भूषा, पहनावे का नाम नहीं। सन्त वही जिसने अन्त को पा लिया। जीवात्मा को जगाकर परमात्मा का रूप हो गया।
उन्होंने कहा कि देश के नौनिहावलों को मेहनत, ईमानदारी, सत्यता, मानव-सेवा शाकाहार, सदाचार, नशामुक्ति के साथ अच्छे संस्कारों की शिक्षा दी गई होती तो यह पीढ़ी नैतिक, वैचारिक, मानसिक पतन के गर्त में न गिरती। कहा कि सनातन संस्कृति को कायम रखने के लिए सभी माताओं-पिताओं को अपने बच्चों पर अच्छे संस्कार डालने चाहिए, उन्हें शुद्ध शाकाहारी, नशामुक्त बनाना चाहिए। चरित्र धन से बढ़़कर कोई धन नहीं। पंकज जी महाराज ने सत्संग में मथुरा में होने वाले 8 से 12 दिसम्बर तक वार्षिक भण्डारे में सपरिवार लोगों को आने का निमंत्रण दिया। इस अवसर पर रमाकांत चौहान, बरातीलाल, भोला यादव, राम खिलावन, ग्राम प्रधान फिरोज खान, अफरोज खान, शिव कुमार गुप्ता, सुरेश शर्मा, प्रेम सागर मौर्य अनेक सभ्रान्त एवं गणमान्य नागरिक प्रतिष्ठित महानुभाव उपस्थित रहे।