बहराइच। फसल उत्पादन में जिन 16 आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, उनमें प्रमुख रूप से नत्रजन व फास्फोरस तत्व का महत्व सबसे अधिक होता है। इन तत्वों में से किसी भी एक तत्व की कमी से जहां फसल उत्पादन में गंभीर रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अब यह भी देखा और अनुभव किया जा रहा है कि लगातार रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से जिस फसल की 10-15 वर्ष में जो उत्पादकता थी, या तो उस उत्पादकता में कमी आयी है अथवा पहले जैसा उत्पादन लेने में डेढ़ से दो गुना अधिक उर्वरक देना पड़ रहा है, जिससे भूमि की गुणवत्ता भी नष्ट हो रही है। फास्फोरस युक्त रासायनिक उर्वरक जैसे डीएपी एनपीके सुपर फास्फेट आदि की जो भी मात्रा, हम फसल उत्पादन के लिए खेतों में डालते हैं उसका सिर्फ 30 से 40 प्रतिशत भाग ही पौधों को उपलब्ध हो पाता है, शेष फास्फोरस मिट्टी के कणों द्वारा स्थिर कर लिया जाता है अथवा रासायनिक क्रियाओं द्वारा अघुलनशील मिश्रण में परिवर्तित हो जाता है।
फलस्वरूप यह महत्वपूर्ण तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता। खेत में पिछले वर्ष के अघुलनशील अवस्था में बेकार पडे फास्फोरस का अगली फसल में उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने नई तकनीक पीएसबी का अविष्कार किया है। पीएसबी (फास्फोरस घोलक बैक्टीरिया) का प्रयोग कर, अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में बदलकर पौधों को प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम फास्फोरस उपलब्ध कराता है । जिससे किसान भाइयों को एक हैक्टेयर मे लगभग 50 किलोग्राम डीएपी कम डालनी पड़ती है। इसके प्रयोग से किसान भाई डीएपी, एनपीके, एव सिंगल सुपर फास्फेट पर निर्भरता कम करके कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
इसी प्रकार अन्य जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम- यह आसमान से नाइट्रोजन का अवशोषण कर पौधों को उपलब्ध कराता है इसको केवल दलहनी फसले जैसे मसूर, चना, मटर में प्रयोग कर सकते हैं । यह किसानों भाइयों को यूरिया उर्वरक पर निर्भरता को कम करता है ।एजेटौवेक्टर जैव उर्वरक यह भी नाइट्रोजन का अवशोषण कर पौधों को उपलब्ध कराता है इसको खाद्यान्न फसले जैसे गेहूं ज्वार मक्का बाजरा में प्रयोग कर सकते हैं । यह भी किसानों भाइयों की यूरिया उर्वरक पर निर्भरता को कम करता है ।पीएसबी, राइजोबियम एजेटोबैक्टर कृषि विभाग के बीज भंडारों पर उपलब्ध है। यह पाउडर के रूप में होता है। किसान बुआई से पहले दो सौ ग्राम पानी में थोड़ा सा गुड़ डाल कर उबाला जाएगा। इसे ठंडा करने के बाद इसमें दो सौ ग्राम जैव उर्वरक पीएसबी/ एजेटोबेक्टर/ राइजोबियम को मिला लिया जाएगा। फिर इसको दस किग्रा किसी भी बीज में मिला लिया जाता है जिससे यह घोल सभी बीजों में चिपक जाता है, इसकी पश्चात छायेदार स्थान पर सुख ले। इस बीज को धूप न रहने पर ही खेतों में बोया जाना चाहिए। क्योंकि धूप में बैक्टीरिया मर जाते हैं। इससे बीज को कोई लाभ नहीं होता है। यह बैक्टीरिया जमीन के भीतर पुराने पड़े फास्फोरस के साथ क्रिया करके उसे पौधों के अवशोषित करने लायक बना देता है। तथा राइजोबियम दलहनी फसलों में, एजेटोबेक्टर खाद्यान्न फसलों में नाइट्रोजन का अवशोषण के पौधों की जड़ों को की जड़ों को उपलब्ध कराते है। पीएसवी, राइजोबियम, एव एजेटोबैक्टर जैव उर्वरक का वास्तविक मूल्य रुपये21 है । यह 75 फीसदी छूट के साथ रुपये 5.25 मे जनपद के कृषि विभाग के सभी बीज गोदाम पर उपलब्ध है। किसान भाई इसका प्रयोग कर डीएपी, एनपीके एवं यूरिया जैसे उर्वरक पर अपनी निर्भरता कम कर लागत में कमी करके ज्यादा लाभ प्राप्त कर कर सकते हैं ।