निकरा परियोजना के अंतर्गत किसानों को वितरित किया गया बरसीम व मसूर का बीज

Vishesh Varta (विशेष वार्ता)
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बहराइच। कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम पर केंद्र के प्रभारी अधिकारी  डा.शैलेन्द्र सिंह के दिशा निर्देशन में निकरा परियोजना के अंतर्गत  ग्राम पंचायत जब्दी विकास खण्ड तेजवापुर और ग्राम सभा रानीबाग विकासखण्ड फखरपुर के 50 किसानों  को मसूर प्रजाति पी.एल.- 9 और 50 किसानों को चारा के लिए बरसीम की प्रजाति मिस्कावि का बीज वितरित किया गया है। 

डा. सिंह ने बताया कि मसूर को समय से बुवाई अक्टूबर के मध्य से नवम्बर के मध्य तक तथा विलम्ब की दशा में दिसम्बर से प्रथम सप्ताह तक इसकी बुवाई करना उपयुक्त है। समय से बुवाई हेतु 30-40 किलोग्राम तथा पिछेती एवं उत्तेरा बुवाई के लिए 40-50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त हैं। 10 किग्रा० बीज को मसूर के एक पैकेट 200 ग्राम राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए। विशेषकर उन खेतों में जिनमें पहले मसूर न बोई गयी हो। बीजोपचार एवं रासायनिक उपचार के बाद पी0 एस0 बी0 का अवश्य प्रयोग करें। डा. नंदन सिंह ने बताया कि समान्य बुवाई में 20 किग्रा० नत्रजन, 60 किग्रा० फास्फोरस, 20 किग्रा० पोटाश तथा 20 किग्रा० गंधक/हे० प्रयोग करें। उतेरा विधि से बुवाई के लिए 20 किग्रा० नत्रजन धान की कटाई के बाद टापड्रेसिंग करे तथा फास्फोरस 30 किग्रा० को दो बार फूल आने तथा फलिया बनते समय पर्णीय छिड़काव करें। डा. अरुण कुमार राजभर ने बताया कि बरसीम का चारा पशुओं के लिए पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है. इसमें 20-28 फीसदी प्रोटीन, 28-30 फीसदी रेशा और कैल्शियम, मैग्नीशियम, फ़ॉस्फ़ोरस, सोडियम, और पोटैशियम जैसे खनिज लवण भी पाए जाते हैं. बरसीम को खिलाने से पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ता है और उनका शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. किसानों में प्रमुख रूप मनोज, आदर्श, चंद्रसेन, अयोध्या, जानकी,  संपदा, अनिल ,ओमकार सहित कई अन्य किसान उपस्थित रहे।

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