मिथिलेश जायसवाल
बहराइच विशेष वार्ता। कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण विषय मशरूम उत्पादन तकनीकी का समापन किया गया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. संदीप कुमार कन्नौजिया ने बताया कि मशरूम उत्पादन करने के लिए गेहूं के भूसे या पराली से कंपोस्ट खाद तैयार की जाती है। इस कंपोस्ट खाद में बीज बोकर मशरूम उगाया जाता है।
ऑयस्टर मशरूम की खेती करने के लिए खाद बनाने की आवश्यकता नहीं है इसकी खेती भूसे में सीधे तौर पर बुवाई करके की जाती है। ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए 28 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 85-90% आर्द्रता की जरूरत होती है। ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए सितंबर-अक्टूबर से मार्च- अप्रैल तक किया जा सकता है। ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए, भूसे को उपचारित करना ज़रूरी है. ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए, बंद कमरे या शेडनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑयस्टर मशरूम की खेती के लिए, बड़े पॉलीबैग इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑयस्टर मशरूम तैयार होने के बाद, उन्हें राउंड सर्कल में घुमाकर निकाला जाता है। साथ हि डॉ. संदीप कुमार ने बताया कि ओएस्टर मशरूम हृदय और प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाता है।इसमें मौजूद फ़ाइबर और प्रोटीन हृदय रोगों को दूर करने में मदद करते हैं।इसमें मौजूद विटामिन डी और मैग्नीशियम हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं। इसमें मौजूद बीटा-ग्लूकेन्स इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाते है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ़्लेमेटरी गुण सूजन और जलन जैसी समस्याओं में आराम दिलाते हैं। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र सिंह, डा. नंदन सिंह, डा. प्रियंका सिंह और डा. शैलजा ने किसानों को मशरूम उत्पादन तकनीकी पर विस्तार से जानकारी दी। किसानों में प्रमुख रूप से माया देवी,आरती, सुमित्रा, कौशल्या, राधा रानी इत्यादि ने प्रतिभाग किया।